सर सी०वी० रमन : प्रारंभिक जीवन ,पुरस्कार व उपलब्धियां
चंद्रशेखर वेंकटरमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था उनके पिता चंद्रशेखर अय्यर स्थानीय महाविद्यालय में भौतिक विज्ञान के व्याख्याता थे उनकी माता पार्वती कुशल ग्रहणी थी उन्होंने 11 वर्ष की उम्र में मेअपनी मैट्रिक परीक्षा पास की थी
इसके बाद उन्होंने मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया जहां उन्होंने विज्ञान विषय में स्नातक और स्नातकोत्तर की परीक्षाएं उच्च श्रेणी में पास की उनकी भौतिकी में गहरी रुचि थी स्नातकोत्तर करते हुए रमन ने भौतिक विषय में एक विशेष लेख लिखा और इसे फिलोसॉफिकल पत्रिका एवं इंग्लैंड के प्रख्यात विज्ञान पत्रिका नेचर को भेजा उनके इस लेख को पढ़कर लंदन में अनेक विख्यात वैज्ञानिकों ने युवा भारतीय प्रतिभा की सराहना की । रमन आईसीएस की परीक्षा को पास करना चाहते थे लेकिन इस परीक्षा के लिए उन्हें लंदन जाना पड़ता तथा गरीबी के कारण वह वहां जाने का खर्च वहन नहीं कर सकते थे उन्होंने भारत में आयोजित होने वाली भारतीय वित्त सेवा परीक्षा की तैयारी की इस परीक्षा में उनका चयन हो गया और उस समय अंग्रेजों के अधीन रहे वर्मा स्थित रंगों में उनकी पोस्टिंग हुई
इससे पहले वह कोलकाता में कार्य करते हुए इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस नामक संस्था से जुड़े थे जो उस समय कार्यरत एकमात्र शोध संस्थान था यहां पर कार्य करते हुए उनके शोध कार्यों की ओर कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति का ध्यान गया इस प्रकार कुलपति महोदय ने कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर के पद पर उन्हें नियुक्त किया सर रमन वित्तीय सेवा में उच्च पद पर थे उन्होंने अपने पेशे को छोड़ कर शैक्षणिक पेशे को अपनाया प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे उ न्हें एक विज्ञान सम्मेलन में भाग लेने के लिए इंग्लैंड आमंत्रित किया गया।
रमन प्रभाव की खोज
एक बार रमन जहाज में बैठे हुए थे वह जहाज भूमध्य सागर से गुजर रहा था रमन के मन में एक प्रश्न उठा उन्होंने सोचा की समुद्र की पानी नीला क्यों दिखाई देता है उनकी इस जिज्ञासा ने उन्हें प्रकाश पर शोध के लिए प्रेरित किया उन्होंने उद्योगों के द्वारा पाया कि सूर्य प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण नीला दिखाई देता है उनकी इस खोज को रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है अनेक वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बने इस प्रश्न को रमन ने सरलता से हल कर दिया उनके इस अग्रणी का
कॉल के लिए 1924 में उन्हें नाइट की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
पुरस्कार एवं उपलब्धिया
ह सर रमन को सन 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार भी मिला इस प्रकार वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले भारतीय वैज्ञानिक बने रमन ने 28 फरवरी 1928 को रमन प्रभाव की खोज की थी उनकी इस खोज के सम्मान में प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है उन्होंने सन 1933 में बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में निदेशक का पदभार संभाला बाद में उन्होंने निदेशक के पद से त्यागपत्र देकर भौतिकी विभाग में शोध को आगे बढ़ाया कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने उन्हें प्रोफेसर पद का प्रस्ताव दिया लेकिन उन्होंने यह कहकर प्रस्ताव मना कर दिया कि भारतीय होने के कारण वह अपने देश की सेवा करना चाहते हैं डॉक्टर होमी भाभा और विक्रम साराभाई उनके छात्र थे सर सी वी रमन की मृत्यु 21 नवंबर 1970 को हो गई थी।
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