डॉ ० होमी जहांगीर भाभा
भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1916 को मुंबई में एक संपन्न पारसी परिवार में हुआ था उनकी आरंभिक शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल ग्रामर स्कूल में संपन्न हुई फिर उन्होंने एल्फिसंन कॉलेज में प्रवेश लिया उसके पिता और फूफा दोराबजी टाटा द्वारा प्रोत्साहित करने पर कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए भाभा वहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त करके भारत लौटे।
स्वदेशआकर उन्होंने जमशेदपुर स्थित टाटा मिल्स में धातु वैज्ञानिक के रूप में कार्य आरंभ किया भाभा को अपने परिवार से देश की सेवा करने की सीखने की ललक विरासत में मिली थी उनके परिवार मा(और पिता दोनों का ) टाटा परिवार से गहरा रिश्ता था
बीसवीं शताब्दी के आरंभिक समय में टाटा परिवार धातुकर्म ऊर्जा उत्पादन एवं विज्ञान तथा इंजीनियरिंग में अग्रणी भूमिका निभा रहा था यह परिवार महात्मा गांधी तथा अन्य राष्ट्रवादी नेताओं से प्रेरित होकर राष्ट्रभक्ति की प्रबल भावना से ओतप्रोत थे इस परिवार की विभिन्न कलाओं विशेषकर प्शास्त्रीय संगीत और चित्रकारी में गहरी रुचि थी जिसके कारण भाभा में अनोखी सौंदर्य बोध संवेदना का विकास हुआ जिसकी झलक हमें उनके द्वारा उनके जीवन मे किए गए सभी रचनात्मक कार्यों पर दिखाई देती है
यह भी देखें - https://basicinfo22.blogspot.com/2020/04/blog-post_56.html
इंजीनियरिंग पूर्ण करने के बाद बाबा की रुचि विज्ञान में हुई 1930 से 1939 की अवधि के दौरान बाबा ने ब्रह्मांड कॉस्मिक चरणों पर असाधारण मौलिक शोध कार्य किए उनके इन कार्यों के कारण मात्र 31 वर्ष की युवा उम्र में उन्हे रॉयल सोसाइटी से छात्रवृत्ति मिली
बाबा सन 1939 में भारत लौट आए और द्वितीय विश्व युद्ध के आरंभ होने के कारण भारत नहीं रहे उन्हें बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान कांग्रेस में कार्य करने के लिए चुना गया जहां विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक सर सी वी रमन बहुत ही विभाग के प्रमुख अरब में रीडर के पद पर नियुक्त किया गया बाबा को शीघ्र ही ब्रह्मांड किरणों पर शोध के लिए प्रोफेसर प्रदान किया गया
परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में भाभा के नेतृत्व की अवधि करीबन 22 वर्ष यानी 1944 से 1966 के दौरान रही दिसंबर 1945 में मौलिक अनुसंधान संस्थान की स्थापना के पैतृक घर की केनिग्लोथ नामक इमारत में की गई
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की बैठक में भाग लेते हुए आल्पस पर्वत की माउंट ब्लॉक चोटी पर 24 जनवरी 1966 को विमान दुर्घटना में भाभा की असमय मृत्यु हो गई
भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1916 को मुंबई में एक संपन्न पारसी परिवार में हुआ था उनकी आरंभिक शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल ग्रामर स्कूल में संपन्न हुई फिर उन्होंने एल्फिसंन कॉलेज में प्रवेश लिया उसके पिता और फूफा दोराबजी टाटा द्वारा प्रोत्साहित करने पर कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए भाभा वहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त करके भारत लौटे।
स्वदेशआकर उन्होंने जमशेदपुर स्थित टाटा मिल्स में धातु वैज्ञानिक के रूप में कार्य आरंभ किया भाभा को अपने परिवार से देश की सेवा करने की सीखने की ललक विरासत में मिली थी उनके परिवार मा(और पिता दोनों का ) टाटा परिवार से गहरा रिश्ता था
बीसवीं शताब्दी के आरंभिक समय में टाटा परिवार धातुकर्म ऊर्जा उत्पादन एवं विज्ञान तथा इंजीनियरिंग में अग्रणी भूमिका निभा रहा था यह परिवार महात्मा गांधी तथा अन्य राष्ट्रवादी नेताओं से प्रेरित होकर राष्ट्रभक्ति की प्रबल भावना से ओतप्रोत थे इस परिवार की विभिन्न कलाओं विशेषकर प्शास्त्रीय संगीत और चित्रकारी में गहरी रुचि थी जिसके कारण भाभा में अनोखी सौंदर्य बोध संवेदना का विकास हुआ जिसकी झलक हमें उनके द्वारा उनके जीवन मे किए गए सभी रचनात्मक कार्यों पर दिखाई देती है
यह भी देखें - https://basicinfo22.blogspot.com/2020/04/blog-post_56.html
इंजीनियरिंग पूर्ण करने के बाद बाबा की रुचि विज्ञान में हुई 1930 से 1939 की अवधि के दौरान बाबा ने ब्रह्मांड कॉस्मिक चरणों पर असाधारण मौलिक शोध कार्य किए उनके इन कार्यों के कारण मात्र 31 वर्ष की युवा उम्र में उन्हे रॉयल सोसाइटी से छात्रवृत्ति मिली
बाबा सन 1939 में भारत लौट आए और द्वितीय विश्व युद्ध के आरंभ होने के कारण भारत नहीं रहे उन्हें बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान कांग्रेस में कार्य करने के लिए चुना गया जहां विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक सर सी वी रमन बहुत ही विभाग के प्रमुख अरब में रीडर के पद पर नियुक्त किया गया बाबा को शीघ्र ही ब्रह्मांड किरणों पर शोध के लिए प्रोफेसर प्रदान किया गया
परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में भाभा के नेतृत्व की अवधि करीबन 22 वर्ष यानी 1944 से 1966 के दौरान रही दिसंबर 1945 में मौलिक अनुसंधान संस्थान की स्थापना के पैतृक घर की केनिग्लोथ नामक इमारत में की गई
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की बैठक में भाग लेते हुए आल्पस पर्वत की माउंट ब्लॉक चोटी पर 24 जनवरी 1966 को विमान दुर्घटना में भाभा की असमय मृत्यु हो गई
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